बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
उत्तर -
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम
वह स्पेक्ट्रम जिसमें कॉस्मिक किरणों से लेकर रेडियो तरंगों के सभी तरंग दैर्ध्य शामिल होते हैं उसे विद्युत स्पेक्ट्रम कहते हैं। यदि हम किसी अंधेरे कमरे में सूर्य के प्रकाश की किसी किरण को किसी प्रिज्म की सहायता से सफेद पर्दे पर प्रक्षेपित करें तो उस पर्दे पर बहु-रंगीन पट्टी बन जाती है। जिसे प्रकाश स्पेक्ट्रम (Light Spectrum) कहते हैं जो विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का अति लघु रूप है। इस पर बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी व लाल रंग (VIBGYOR) दृश्यगोचर होने के कारण इसे दृश्य स्पेक्ट्रम (Visible Spectrum) भी कहते हैं। दृश्य स्पेक्ट्रम के लाल रंग में सबसे लम्बी तरंग दैर्ध्य व बैंगनी रंग की सबसे छोटी तरंग दैर्ध्य होती है। सूर्य के प्रकाश का स्पेक्ट्रम केवल लाल रंग से लेकर बैंगनी रंग तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह लाल रंग से ऊपर तथा बैंगनी रंग से नीचे भी काफी विस्तार में फैला हुआ होता है। ये भाग नंगी आँखों से नहीं दिखाई देता है जिन्हें अदृश्य स्पेक्ट्रम कहते हैं। लाल रंग के ऊपर बड़ी तरंग दैर्ध्य वाले भाग को अवरक्त स्पेक्ट्रम तथा बैंगनी रंग से नीचे छोटी तरंग दैर्ध्य वाले भाग को पराबैंगनी स्पेक्ट्रम कहते हैं। इन्हीं के माध्यम से 'X' किरणों, गामा किरणों तथा रेडियो तरंगों का आविष्कार हुआ। ये सभी विकिरण (दृश्य स्पेक्ट्रमों सहित) विद्युत चुम्बकीय है। तरंग दैर्ध्य के मानों के आधार पर विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का वर्गीकरण किया गया। विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न बड़े-बड़े प्रदेश हैं, जिनका वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है-
(1) गामा किरण क्षेत्र - इस क्षेत्र की तरंग दैर्ध्य 0.03um से कम होती है। इसकी विशेषता यह है कि यह क्षेत्र वायुमण्डल के ऊपरी भाग द्वारा विकिरण ऊर्जा का पूर्णतः अवशोषण कर लेता है अवशोषण होने के कारण सुदूर संवेदन लिये विकिरण की प्राप्ति नहीं हो पाती है।
(2) एक्स-किरण क्षेत्र - एक्स किरणों की तरंग दैर्ध्य 0.03 से 30.0um तक होती है। वायुमण्डल में पूर्णतः अवशोषित हो जाने के कारण इन किरणों का भी सुदूर संवेदन के क्षेत्र में प्रयोग नहीं हो पाता है।
(3) पराबैंगनी क्षेत्र - इन किरणों का तरंग दैर्ध्य व्यास क्षेत्र 0.03 से 0.4 नैनो मीटर तक होता है। इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि 0.03um से कम तरंग दैर्ध्य के विकिरण का ऊपरी वायुमण्डल की ओजोन गैस में पूर्णतः अवशोषण कर लिया जाता है। पराबैंगनी क्षेत्र में, दृश्य तरंग दैर्ध्य के बैंगनी सम्भाग के बाद पड़ता है। पृथ्वी के धरातल के पदार्थ मुख्यतः चट्टानें तथा खनिज दृश्य पराबैंगनी विकिरण को छोड़ते हैं जबकि पराबैंगनी विकिरण अधिकतर पृथ्वी के वायुमण्डल द्वारा प्रकीर्णित कर दिया जाता है। इस कारण इन किरणों का भी सुदूर संवेदन में उपयोग नहीं किया जाता है।
(4) फोटोग्राफिक पराबैंगनी बैण्ड - इस क्षेत्र की तरंग दैर्ध्य का विस्तार 0.03 से 0.4 माइक्रो मीटर तक होता है। इस क्षेत्र के वायुमण्डल में विकिरण का पारगमन सम्भव होता है, लेकिन अधिक प्रकीर्णन फिल्म और फोटो संसूचकों के द्वारा संवेदन सम्भव होता है।
(5) दृश्य क्षेत्र - दृश्य क्षेत्र की तरंग दैर्ध्य का विस्तार 0.4 से 0.7 माइक्रो मीटर तक होता है। इस क्षेत्र को फिल्म व फोटो संसूचकों से संवेदन के योग्य माना जाता है। दृश्य क्षेत्र ऊर्जा का सबसे अधिकतम परावर्तनशील हरा बैण्ड होता है, जिसकी तरंग दैर्ध्य 0.5 माइक्रोमीटर होती है। यह विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का ऐसा प्रकाश होता है, जिसे हमारी आँखें संसूचन कर सकती हैं। दृश्य क्षेत्र में नीला, हरा तथा लाल रंग के दृश्य स्पेक्ट्रम प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। इन्हें प्रारम्भिक रंग भी कहते हैं क्योंकि अन्य सभी रंग इन तीन रंगों के अलग-अलग मात्रा के मिश्रण से तैयार किये जा सकते हैं। किसी वस्तु के रंगों को उसके प्रकाश के परावर्तन रंगों द्वारा स्पष्ट किया जाता है।
(6) अवरक्त किरणों का क्षेत्र - अवरक्त किरणों का तरंग दैर्ध्य परास क्षेत्र 0.7 से 100 माइक्रो मीटर के मध्य होता है। इस क्षेत्र की किरणों की ऊर्जा तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करती है। इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि अवशोषण बैण्डों के द्वारा वायुमण्डलीय पारगमन खिड़कियों का पृथक्करण कर दिया जाता है। इसका विभाजन निम्न दो श्रेणियों में किया जाता है-
(i) परावर्तित अवरक्त बैण्ड - इनकी तरंगों का परास 0.7 से 3 माइक्रो मीटर के मध्य होता है। इस क्षेत्र की तरंगों को निकट अवरक्त बैण्ड भी कहा जाता है। इनकी विशेषता यह है कि इस बैण्ड की तरंगों में परावर्तित सौर विकिरण में पदार्थों के तापीय लक्षणों का पूर्णतः अभाव पाया जाता है। 0.7 से 0.9 माइक्रो मीटर तक की तरंगों का अन्तराल ( अर्थात् फोटोग्राफीय अवरक्त बैण्ड) फिल्म से संवेदन योग्य होता है।
(ii) तापीय अवरक्त बैण्ड - तापीय अवरक्त बैण्ड क्षेत्र की तरंगों का परास क्षेत्र 3 से 5 माइक्रो मीटर के मध्य माना जाता है। तापीय क्षेत्र की प्रमुख वायुमण्डलीय खिड़कियाँ, प्रकाशिक यांत्रिक क्रमवीक्षकों एवं विशिष्ट वीडियो प्रणाली से प्रतिबिम्बों की प्राप्ति करने में सक्षम होती है। यह फिल्म से असंवेदनशील श्रेणी में होती है। इस क्षेत्र को मध्य अवरक्त बैण्ड भी कहते हैं।
(7) लघु तरंग क्षेत्र - इस क्षेत्र की तरंगों का परास 0.1 से 30 सेमी के मध्य होता है। इन तरंगों की विशेषता यह है कि ये तरंगे मेघ, कोहरा और वर्षा में प्रवेश करने की क्षमता रखती हैं। इनके माध्यम से लम्बे तरंग दैर्ध्य सक्रिय और निष्क्रिय दोनों विधियों से प्रतिबिम्बों की प्राप्ति सम्भव है। इनका प्रयोग रडार के द्वारा सक्रिय फोटोग्राफी में भी किया जाता है।
(8) रेडियो तरंगों का क्षेत्र - जिन तरंगों की तरंग दैर्ध्य का परास क्षेत्र 30 सेमी से अधिक होता है उन्हें रेडियो तरंगें कहते हैं। यह विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमों में सबसे लम्बी तरंग दैर्ध्य होती है। इनका प्रयोग वाणिज्य प्रसारण तथा जलवायु सम्बन्धी सूचनाओं के लिए किया जाता है।
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